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Kumar Vishwas Shayari in Hindi
कुमार विश्वास शायरी: भावनाओं के जादू में खो जाइए
मेरा जो भी तर्जुबा है, तुम्हे बतला रहा हूँ मैंकोई लब छु गया था तब, की अब तक गा रहा हूँ मैंबिछुड़ के तुम से अब कैसे, जिया जाये बिना तडपेजो मैं खुद ही नहीं समझा, वही समझा रहा हु मैं
मोहब्बत एक अहसासों की, पावन सी कहानी है,कभी कबिरा दीवाना था, कभी मीरा दीवानी है,यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं,जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है।
भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामाहमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामाअभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत कामैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा
कोई खामोश है इतना, बहाने भूल आया हूँकिसी की इक तरनुम में, तराने भूल आया हूँमेरी अब राह मत तकना कभी ए आसमां वालोमैं इक चिड़िया की आँखों में, उड़ाने भूल आया हूँ
ना पाने की खुशी है कुछ, ना खोने का ही कुछ गम हैये दौलत और शोहरत सिर्फ, कुछ ज़ख्मों का मरहम हैअजब सी कशमकश है,रोज़ जीने, रोज़ मरने मेंमुक्कमल ज़िन्दगी तो है, मगर पूरी से कुछ कम है
पनाहों में जो आया हो, उस पर वार क्या करनाजो दिल हारा हुआ हो, उस पे फिर से अधिकार क्या करनामोहब्बत का मज़ा तो, डूबने की कशमकश में हैजो हो मालूम गहरायी, तो दरिया पार क्या करना
वो जिसका तीर चुपके से जिगर के पार होता हैवो कोई गैर क्या अपना ही रिश्तेदार होता हैकिसी से अपने दिल की बात तू कहना ना भूले सेयहाँ ख़त भी थोड़ी देर में अखबार होता है
तुम्हीं पे मरता है ये दिल अदावत क्यों नहीं करता,कई जन्मों से बंदी है बगावत क्यों नहीं करता,कभी तुमसे थी जो वो ही शिकायत है ज़माने से,मेरी तारीफ़ करता है मोहब्बत क्यों नहीं करता।
मेरे जीने मरने में, तुम्हारा नाम आएगामैं सांस रोक लू फिर भी, यही इलज़ाम आएगाहर एक धड़कन में जब तुम हो, तो फिर अपराध क्या मेराअगर राधा पुकारेंगी, तो घनश्याम आएगा
kumar vishwas shayari 2 line
मैं उसका हूँ वो इस एहसास से इनकार करती हैभरी महफ़िल में भी, रुसवा हर बार करती हैयकीं है सारी दुनिया को, खफा है हमसे वो लेकिनमुझे मालूम है फिर भी मुझी से प्यार करता है
हमारे शेर सुनकर भी जो खामोश इतना हैखुदा जाने गुरुर ए हुस्न में मदहोश कितना हैकिसी प्याले से पूछा है सुराही ने सबब मय काजो खुद बेहोश हो वो क्या बताये होश कितना है
कोई पत्थर की मूरत है, किसी पत्थर में मूरत हैलो हमने देख ली दुनिया, जो इतनी खुबसूरत हैजमाना अपनी समझे पर, मुझे अपनी खबर यह हैतुझे मेरी जरुरत है, मुझे तेरी जरुरत है
एक पहाडे सा मेरी उँगलियों पे ठहरा हैतेरी चुप्पी का सबब क्या है? इसे हल कर देये फ़क़त लफ्ज़ हैं तो रोक दे रस्ता इन काऔर अगर सच है तो फिर बात मुकम्मल कर दे
सखियों संग रंगने की धमकी सुनकर क्या डर जाऊँगा?
तेरी गली में क्या होगा ये मालूम है पर आऊँगा,
भींग रही है काया सारी खजुराहो की मूरत सी,
इस दर्शन का और प्रदर्शन मत करना,
मर जाऊँगा!
हमें मालूम है दो दिल जुदाई सह नहीं सकतेमगर रस्मे-वफ़ा ये है कि ये भी कह नहीं सकतेजरा कुछ देर तुम उन साहिलों कि चीख सुन भर लोजो लहरों में तो डूबे हैं, मगर संग बह नहीं सकते.
उसी की तरहा मुझे सारा ज़माना चाहेवो मेरा होने से ज्यादा मुझे पाना चाहेमेरी पलकों से फिसल जाता है चेहरा तेराये मुसाफिर तो कोई ठिकाना चाहे.
वो जिसका तीर चुपके से जिगर के पार होता हैवो कोई गैर क्या अपना ही रिश्तेदार होता हैकिसी से अपने दिल की बात तू कहना ना भूले सेयहाँ ख़त भी थोड़ी देर में अखबार होता है.
कोई कब तक महज सोचे,कोई कब तक महज गाएईलाही क्या ये मुमकिन है कि कुछ ऐसा भी हो जाऐमेरा मेहताब उसकी रात के आगोश मे पिघलेमैँ उसकी नीँद मेँ जागूँ वो मुझमे घुल के सो जाऐ
तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है, समझता हूँतुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है, समझता हूँतुम्हें मैं भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नहीं लेकिनतुम्हीं को भूलना सबसे जरूरी है, समझता हूँ
तुझ को गुरुर ए हुस्न है मुझ को सुरूर ए फ़नदोनों को खुदपसंदगी की लत बुरी भी हैतुझ में छुपा के खुद को मैं रख दूँ मग़र मुझेकुछ रख के भूल जाने की आदत बुरी भी है
कुमार विश्वास शायरी की गहराईयों में समय बिताइए
Kumar Vishwas Shayari in hindi
दिल तो करता है ख़ैर करता है आप का ज़िक्र
ग़ैर करता है क्यूँ न मैं दिल से दूँ दुआ उस को
जबकि वो मुझ से बैर करता है आप तो हू-ब-हू वही हैं
जो मेरे सपनों में सैर करता है इश्क़ क्यूँ आप से
ये दिल मेरा मुझ से पूछे बग़ैर करता है
एक ज़र्रा दुआएँ माँ की ले आसमानों की सैर करता है
तुम्हारा ख़्वाब जैसे ग़म को अपनाने से डरता हैहमारी आखँ का आँसूं , ख़ुशी पाने से डरता हैअज़ब है लज़्ज़ते ग़म भी, जो मेरा दिल अभी कल तक़तेरे जाने से डरता था वो अब आने से डरता है
हर इक खोने में हर इक पाने में तेरी याद आती हैनमक आँखों में घुल जाने में तेरी याद आती हैतेरी अमृत भरी लहरों को क्या मालूम गंगा माँसमंदर पार वीराने में तेरी याद आती है
हमें मालूम है दो दिल जुदाई सह नहीं सकतेमगर रस्मे-वफ़ा ये है कि ये भी कह नहीं सकतेजरा कुछ देर तुम उन साहिलों कि चीख सुन भर लोजो लहरों में तो डूबे हैं, मगर संग बह नहीं सकते
ना पाने की खुशी है कुछ,ना खोने का ही कुछ गम है…ये दौलत और शौहरत सिर्फ कुछ जख्मों का मरहम है…अजब सी कशमकश है रोज जीने ,रोज मरने में…मुक्कमल जिंदगी तो है,मगर पूरी से कुछ कम है…”
गिरेबान चेक करना क्या है सीना और मुश्किल है,हर एक पल मुस्कुराकर अश्क पीना और मुश्किल है,हमारी बदनसीबी ने हमें बस इतना सिखाया है,किसी के इश्क़ में मरने से जीना और मुश्किल है.
उन की ख़ैर-ओ-ख़बर नहीं मिलती
हम को ही ख़ास कर नहीं मिलती
शाएरी को नज़र नहीं मिलती
मुझ को तू ही अगर नहीं मिलती
रूह में दिल में जिस्म में दुनिया ढूँढता हूँ
मगर नहीं मिलती
लोग कहते हैं रूह बिकती है
मैं जिधर हूँ उधर नहीं मिलती||
kumar vishwas shayari lyrics
तुम्ही पे मरता है ये दिल अदावत क्यों नहीं करताकई जन्मो से बंदी है बगावत क्यों नहीं करता..कभी तुमसे थी जो वो ही शिकायत हे ज़माने सेमेरी तारीफ़ करता है मोहब्बत क्यों नहीं करता..
मिले हर जख्म को मुस्कान को सीना नहीं आयाअमरता चाहते थे पर ज़हर पीना नहीं आयातुम्हारी और मेरी दस्ता में फर्क इतना हैमुझे मरना नहीं आया तुम्हे जीना नहीं आया
मेरा अपना तजुर्बा है तुम्हे बतला रहा हूँ मैंकोई लब छू गया था तब के अब तक गा रहा हु मैंबिछुड़ के तुम से अब कैसे जिया जाए बिना तड़पेजो में खुद हे नहीं समझा वही समझा रहा हु मैं..
नज़र में शोखिया लब पर मुहब्बत का तराना हैमेरी उम्मीद की जद़ में अभी सारा जमाना हैकई जीते है दिल के देश पर मालूम है मुझकोंसिकन्दर हूं मुझे इक रोज खाली हाथ जाना है
मै तेरा ख्वाब जी लून पर लाचारी हैमेरा गुरूर मेरी ख्वाहिसों पे भरी हैसुबह के सुर्ख उजालों से तेरी मांग सेमेरे सामने तो ये श्याह रात सारी है
सब अपने दिल के राजा है, सबकी कोई रानी हैभले प्रकाशित हो न हो पर सबकी कोई कहानी हैबहुत सरल है किसने कितना दर्द सहाजिसकी जितनी आँख हँसे है, उतनी पीर पुराणी है
फिर मेरी याद आ रही होगी
फिर वो दीपक बुझा रही होगी
फिर मिरे फेसबुक पे आ कर वो ख़ुद को बैनर बना रही होगी
अपने बेटे का चूम कर माथा मुझ को टीका लगा रही होगी
फिर उसी ने उसे छुआ होगा
फिर उसी से निभा रही होगी जिस्म चादर सा बिछ गया होगा
रूह सिलवट हटा रही होगी
फिर से इक रात कट गई होगी
फिर से इक रात आ रही होगी||
पनाहों में जो आया हो तो उस पर वार क्या करनाजो दिल हारा हुआ हो उस पे फिर अधिकार क्या करनामुहब्बत का मजा तो डूबने की कशमकश में हैहो ग़र मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना।
सदा तो धूप के हाथों में ही परचम नहीं होताखुशी के घर में भी बोलों कभी क्या गम नहीं होताफ़क़त इक आदमी के वास्तें जग छोड़ने वालोफ़क़त उस आदमी से ये ज़माना कम नहीं होता।
स्वंय से दूर हो तुम भी स्वंय से दूर है हम भीबहुत मशहूर हो तुम भी बहुत मशहूर है हम भीबड़े मगरूर हो तुम भी बड़े मगरूर है हम भीअतः मजबूर हो तुम भी अतः मजबूर है हम भी
नज़र में शोखिया लब पर मुहब्बत का तराना हैमेरी उम्मीद की जद़ में अभी सारा जमाना हैकई जीते है दिल के देश पर मालूम है मुझकोंसिकन्दर हूं मुझे इक रोज खाली हाथ जाना है।
हमने दुःख के महासिंधु से सुख का मोती बीना हैऔर उदासी के पंजों से हँसने का सुख छीना हैमान और सम्मान हमें ये याद दिलाते है पल पलभीतर भीतर मरना है पर बाहर बाहर जीना है।
कोई मंजिल नहीं जंचती, सफर अच्छा नहीं लगताअगर घर लौट भी आऊ तो घर अच्छा नहीं लगताकरूं कुछ भी मैं अब दुनिया को सब अच्छा ही लगता हैमुझे कुछ भी तुम्हारे बिन मगर अच्छा नहीं लगता।
उसी की तरह मुझे सारा ज़माना चाहे वो मिरा होने से ज़्यादा मुझे पाना चाहे मेरी पलकों से फिसल जाता है चेहरा तेरा ये मुसाफ़िर तो कोई और ठिकाना चाहे एक बनफूल था इस शहर में वो भी न रहा कोई अब किस के लिए लौट के आना चाहे ज़िंदगी हसरतों के साज़ पे सहमा-सहमा वो तराना है जिसे दिल नहीं गाना चाहे||
kumar vishwas shayari on friendship in hindi
वो जिसका तीरे छुपके से जिगर के पार होता हैवो कोई गैर क्या अपना ही रिश्तेदार होता हैकिसी से अपने दिल की बात तू कहना ना भूले सेयहां खत भी जरा सी देर में अखबार होता है।
वो जो खुद में से कम निकलतें हैंउनके ज़हनों में बम निकलतें हैंआप में कौन-कौन रहता हैहम में तो सिर्फ हम निकलते हैं।
भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा,हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा,अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का,मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा।
घर से निकला हूँ तो निकला है घर भी साथ मेरेदेखना ये है कि मंज़िल पे कौन पहुँचेगामेरी कश्ती में भँवर बाँध के दुनिया ख़ुश हैदुनिया देखेगी कि साहिल पे कौन पहुँचेगा।
मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी हैकभी कबीरा दीवाना था, कभी मीरा दीवानी हैयहाँ सब लोग कहते है, मेरी आँखों में पानी हैजो तुम समझो तो मोती है, जो ना समझो तो पानी है.
पनाहों में जो आया हो, तो उस पर वार क्या करनाजो दिल हारा हुआ हो उस पे फिर अधिकार क्या करनामुहब्बत का मजा तो डूबने की कशमकश में है ||
ये वो ही इरादें हैं, ये वो ही तबस्सुम हैहर एक मोहल्लत में, बस दर्द का आलम हैइतनी उदास बातें, इतना उदास लहजा ,लगता है की तुम को भी, हम सा ही कोई गम है.
अल्फाज़ों की जदूगरी: कुमार विश्वास शायरी का खोज करें
मेरा जो भी तर्जुबा है, तुम्हे बतला रहा हूँ मैंकोई लब छु गया था तब, की अब तक गा रहा हूँ मैं
बिछुड़ के तुम से अब कैसे, जिया जाये बिना तडपे
जो मैं खुद ही नहीं समझा, वही समझा रहा हु मैं
भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का
मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा
कोई खामोश है इतना, बहाने भूल आया हूँ
किसी की इक तरनुम में, तराने भूल आया हूँ
मेरी अब राह मत तकना कभी ए आसमां वालो
मैं इक चिड़िया की आँखों में, उड़ाने भूल आया हूँ
ना पाने की खुशी है कुछ, ना खोने का ही कुछ गम है
ये दौलत और शोहरत सिर्फ, कुछ ज़ख्मों का मरहम है
अजब सी कशमकश है,रोज़ जीने, रोज़ मरने में
मुक्कमल ज़िन्दगी तो है, मगर पूरी से कुछ कम है
पनाहों में जो आया हो, उस पर वार क्या करना
जो दिल हारा हुआ हो, उस पे फिर से अधिकार क्या करना
मोहब्बत का मज़ा तो, डूबने की कशमकश में है
जो हो मालूम गहरायी, तो दरिया पार क्या करना
वो जिसका तीर चुपके से जिगर के पार होता है
वो कोई गैर क्या अपना ही रिश्तेदार होता है
किसी से अपने दिल की बात तू कहना ना भूले से
यहाँ ख़त भी थोड़ी देर में अखबार होता है
मेरे जीने मरने में, तुम्हारा नाम आएगा
मैं सांस रोक लू फिर भी, यही इलज़ाम आएगा
हर एक धड़कन में जब तुम हो, तो फिर अपराध क्या मेरा
अगर राधा पुकारेंगी, तो घनश्याम आएगा
मैं उसका हूँ वो इस एहसास से इनकार करती है
भरी महफ़िल में भी, रुसवा हर बार करती है
यकीं है सारी दुनिया को, खफा है हमसे वो लेकिन
मुझे मालूम है फिर भी मुझी से प्यार करता है
हमारे शेर सुनकर भी जो खामोश इतना है
खुदा जाने गुरुर ए हुस्न में मदहोश कितना है
किसी प्याले से पूछा है सुराही ने सबब मय का
जो खुद बेहोश हो वो क्या बताये होश कितना है
कोई पत्थर की मूरत है, किसी पत्थर में मूरत है
लो हमने देख ली दुनिया, जो इतनी खुबसूरत है
जमाना अपनी समझे पर, मुझे अपनी खबर यह है
तुझे मेरी जरुरत है, मुझे तेरी जरुरत है
एक पहाडे सा मेरी उँगलियों पे ठहरा है
तेरी चुप्पी का सबब क्या है? इसे हल कर दे
ये फ़क़त लफ्ज़ हैं तो रोक दे रस्ता इन का
और अगर सच है तो फिर बात मुकम्मल कर दे
कोई कब तक महज सोचे,कोई कब तक महज गाए
ईलाही क्या ये मुमकिन है कि कुछ ऐसा भी हो जाऐ
मेरा मेहताब उसकी रात के आगोश मे पिघले
मैँ उसकी नीँद मेँ जागूँ वो मुझमे घुल के सो जाऐ
तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है, समझता हूँ
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है, समझता हूँ
तुम्हें मैं भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नहीं लेकिन
तुम्हीं को भूलना सबसे जरूरी है, समझता हूँ
Top 10 Romantic Shayari For Girlfriend
तुझ को गुरुर ए हुस्न है मुझ को सुरूर ए फ़न
दोनों को खुदपसंदगी की लत बुरी भी है
तुझ में छुपा के खुद को मैं रख दूँ मग़र मुझे
कुछ रख के भूल जाने की आदत बुरी भी है
तुम्हारा ख़्वाब जैसे ग़म को अपनाने से डरता है
हमारी आखँ का आँसूं , ख़ुशी पाने से डरता है
अज़ब है लज़्ज़ते ग़म भी, जो मेरा दिल अभी कल तक़
तेरे जाने से डरता था वो अब आने से डरता है
हर इक खोने में हर इक पाने में तेरी याद आती है
नमक आँखों में घुल जाने में तेरी याद आती है
तेरी अमृत भरी लहरों को क्या मालूम गंगा माँ
समंदर पार वीराने में तेरी याद आती है
दिल को छूने वाले वाक्यों की झील: कुमार विश्वास शायरी की खोज में
हमें मालूम है दो दिल जुदाई सह नहीं सकते
मगर रस्मे-वफ़ा ये है कि ये भी कह नहीं सकते
जरा कुछ देर तुम उन साहिलों कि चीख सुन भर लो
जो लहरों में तो डूबे हैं, मगर संग बह नहीं सकते
ना पाने की खुशी है कुछ,ना खोने का ही कुछ गम है…
ये दौलत और शौहरत सिर्फ कुछ जख्मों का मरहम है…
अजब सी कशमकश है रोज जीने ,रोज मरने में…
मुक्कमल जिंदगी तो है,मगर पूरी से कुछ कम है…”
गिरेबान चेक करना क्या है सीना और मुश्किल है,
हर एक पल मुस्कुराकर अश्क पीना और मुश्किल है,
हमारी बदनसीबी ने हमें बस इतना सिखाया है,
किसी के इश्क़ में मरने से जीना और मुश्किल है.
तुम्ही पे मरता है ये दिल अदावत क्यों नहीं करता
कई जन्मो से बंदी है बगावत क्यों नहीं करता..
कभी तुमसे थी जो वो ही शिकायत हे ज़माने से
मेरी तारीफ़ करता है मोहब्बत क्यों नहीं करता..
मिले हर जख्म को मुस्कान को सीना नहीं आया
अमरता चाहते थे पर ज़हर पीना नहीं आया
तुम्हारी और मेरी दस्ता में फर्क इतना है
मुझे मरना नहीं आया तुम्हे जीना नहीं आया
मेरा अपना तजुर्बा है तुम्हे बतला रहा हूँ मैं
कोई लब छू गया था तब के अब तक गा रहा हु मैं
बिछुड़ के तुम से अब कैसे जिया जाए बिना तड़पे
जो में खुद हे नहीं समझा वही समझा रहा हु मैं..
नज़र में शोखिया लब पर मुहब्बत का तराना है
मेरी उम्मीद की जद़ में अभी सारा जमाना है
कई जीते है दिल के देश पर मालूम है मुझकों
सिकन्दर हूं मुझे इक रोज खाली हाथ जाना है
मै तेरा ख्वाब जी लून पर लाचारी है
मेरा गुरूर मेरी ख्वाहिसों पे भरी है
सुबह के सुर्ख उजालों से तेरी मांग से
मेरे सामने तो ये श्याह रात सारी है
सब अपने दिल के राजा है, सबकी कोई रानी है
भले प्रकाशित हो न हो पर सबकी कोई कहानी है
बहुत सरल है किसने कितना दर्द सहा
जिसकी जितनी आँख हँसे है, उतनी पीर पुराणी है
Best Javed Akhtar Shayari In Hindi
पनाहों में जो आया हो तो उस पर वार क्या करना
जो दिल हारा हुआ हो उस पे फिर अधिकार क्या करना
मुहब्बत का मजा तो डूबने की कशमकश में है
हो ग़र मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना।
सदा तो धूप के हाथों में ही परचम नहीं होता
खुशी के घर में भी बोलों कभी क्या गम नहीं होता
फ़क़त इक आदमी के वास्तें जग छोड़ने वालो
फ़क़त उस आदमी से ये ज़माना कम नहीं होता।
स्वंय से दूर हो तुम भी स्वंय से दूर है हम भी
बहुत मशहूर हो तुम भी बहुत मशहूर है हम भी
बड़े मगरूर हो तुम भी बड़े मगरूर है हम भी
अतः मजबूर हो तुम भी अतः मजबूर है हम भी
नज़र में शोखिया लब पर मुहब्बत का तराना है
मेरी उम्मीद की जद़ में अभी सारा जमाना है
कई जीते है दिल के देश पर मालूम है मुझकों
सिकन्दर हूं मुझे इक रोज खाली हाथ जाना है।
हमने दुःख के महासिंधु से सुख का मोती बीना है
और उदासी के पंजों से हँसने का सुख छीना है
मान और सम्मान हमें ये याद दिलाते है पल पल
भीतर भीतर मरना है पर बाहर बाहर जीना है।
कोई मंजिल नहीं जंचती, सफर अच्छा नहीं लगता
अगर घर लौट भी आऊ तो घर अच्छा नहीं लगता
करूं कुछ भी मैं अब दुनिया को सब अच्छा ही लगता है
मुझे कुछ भी तुम्हारे बिन मगर अच्छा नहीं लगता।
वो जिसका तीरे छुपके से जिगर के पार होता है
वो कोई गैर क्या अपना ही रिश्तेदार होता है
किसी से अपने दिल की बात तू कहना ना भूले से
यहां खत भी जरा सी देर में अखबार होता है।
वो जो खुद में से कम निकलतें हैं
उनके ज़हनों में बम निकलतें हैं
आप में कौन-कौन रहता है
हम में तो सिर्फ हम निकलते हैं।
घर से निकला हूँ तो निकला है घर भी साथ मेरे
देखना ये है कि मंज़िल पे कौन पहुँचेगा
मेरी कश्ती में भँवर बाँध के दुनिया ख़ुश है
दुनिया देखेगी कि साहिल पे कौन पहुँचेगा।
अमावस की काली रातों में, जब दिल का दरवाजा खुलता है ,
जब दर्द की प्याली रातों में, गम आंसूं के संग होते हैं ,
जब पिछवाड़े के कमरे में , हम निपट अकेले होते हैं ,
जब घड़ियाँ टिक -टिक चलती हैं , सब सोते हैं , हम रोते हैं ,
जब बार बार दोहराने से , सारी यादें चुक जाती हैं ,
जब उंच -नीच समझाने में , माथे की नस दुःख जाती हैं ,
तब एक पगली लड़की के बिन जीना गद्दारी लगता है ,
और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भरी लगता है !!
जब बासी फीकी धुप समेटें , दिन जल्दी ढल जाता है ,
जब सूरज का लश्कर , छत से गलियों में देर से जाता है ,
जब जल्दी घर जाने की इच्छा , मन ही मन घुट जाती है ,
जब कॉलेज से घर लाने वाली , पहली बस छुट जाती है ,
जब बेमन से खाना खाने पर , माँ गुस्सा हो जाती है ,
जब लाख मन करने पर भी , पारो पढने आ जाती है ,
जब अपना हर मनचाहा काम कोई लाचारी लगता है ,
तब एक पगली लड़की के बिन जीना गद्दारी लगता है ,
और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है !!
Desh Bhakti Shayari in hindi
जब कमरे में सन्नाटे की आवाज सुनाई देती है ,
जब दर्पण में आँखों के नीचे झाई दिखाई देती है ,
जब बड़की भाभी कहती हैं , कुछ सेहत का भी ध्यान करो ,
क्या लिखते हो दिनभर , कुछ सपनों का भी सम्मान करो ,
जब बाबा वाली बैठक में कुछ रिश्ते वाले आते हैं ,
जब बाबा हमें बुलाते हैं , हम जाते हैं , घबराते हैं ,
जब साड़ी पहने एक लड़की का, एक फोटो लाया जाता है ,
जब भाभी हमें मनाती हैं , फोटो दिखलाया जाता है ,
जब सारे घर का समझाना हमको फनकारी लगता है ,
तब एक पगली लड़की के बिन जीना गद्दारी लगता है ,
और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है
दीदी कहती हैं उस पगली लड़की की कुछ औकात नहीं ,
उसके दिल में भैया , तेरे जैसे प्यारे जज्बात नहीं ,
वो पगली लड़की नौ दिन मेरे लिए भूखी रहती है ,
छुप -छुप सारे व्रत करती है , पर मुझसे कभी ना कहती है ,
जो पगली लड़की कहती है , मैं प्यार तुम्ही से करती हूँ ,
लेकिन मै हूँ मजबूर बहुत , अम्मा -बाबा से डरती हूँ ,
उस पगली लड़की पर अपना कुछ अधिकार नहीं बाबा ,
ये कथा -कहानी किस्से हैं , कुछ भी तो सार नहीं बाबा ,
बस उस पगली लड़की के संग जीना फुलवारी लगता है ,और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है ||
दिलों से दिलों का सफर आसान नहीं होता,
ठहरे हुए दरिया में तुफान नहीं होता,
मोहब्बत तो रूह में समा जाती है,
इसमें शब्दों का कोई काम नहीं होता,
मैं कवि हूं प्रेम का बांट रहा हूं प्रेम,
इससे बड़ा कोई काम नहीं होता”
बतायें क्या हमें किन-किन सहारों ने सताया है
नदी तो कुछ नहीं बोली, किनारों ने सताया है
सदा ही शूल मेरी राह से ख़ुद हट गए लेकिन
मुझे तो हर घडी हर पल बहारों ने सताया है
जब भी आना उतर के वादी में ,
ज़रा सा चाँद लेते आना तुम “
मिलते रहिए, कि मिलते रहने से
मिलते रहने का सिलसिला हूँ मैं.
गम में हूँ य़ा हूँ शाद मुझे खुद पता नहीं
खुद को भी हूँ मैं याद मुझे खुद पता नहीं
मैं तुझको चाहता हूँ मगर माँगता नहीं
मौला मेरी मुराद मुझे खुद पता नहीं”
रंग दुनियाने दिखाया है निराला, देखूँ
है अंधेरे में उजाला, तो उजाला देखूँ
आईना रख दे मेरे सामने, आखिर मैं भी
कैसा लगता हूँ तेरा चाहने वाला देखूँ !!
तुमने अपने होठों से जब छुई थीं ये पलकें !
नींद के नसीबों में ख्वा़ब लौट आया था !!
रंग ढूँढने निकले लोग जब कबीले के !
तितलियों ने मीलों तक रास्ता दिखाया था !!
इन उम्र से लम्बी सड़को को, मंज़िल पे पहुंचते देखा नहीं,
बस दोड़ती फिरती रहती हैं, हम ने तो ठहरते देखा नहीं..!!
वो सब रंग बेरंग हैं जो ढूंढते व्यापार होली में,
विजेता हैं जिन्हें स्वीकार हर हार होली में,
मैं मंदिर से निकल आऊँ तुम मस्जिद से निकल आना,
तो मिलकर हम लगाएंगे गुलाल-ए-प्यार होली में
कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है
मैं तुझसे दुर कैसा हूँ , तु मुझसे दुर कैसी है
ये तेरा दिल समझता है य़ा मेरा दिल समझता है.
हर ओर शिवम-सत्यम-सुन्दर ,
हर दिशा-दिशा मे हर हर है
जड़-चेतन मे अभिव्यक्त सतत ,
कंकर-कंकर मे शंकर है…”
एक दो दिन मे वो इकरार कहाँ आएगा ,
हर सुबह एक ही अखबार कहाँ आएगा ,
आज जो बांधा है इन में तो बहल जायेंगे ,
रोज इन बाहों का त्योहार कहाँ आएगा…!!
जो किए ही नहीं कभी मैंने ,
वो भी वादे निभा रहा हूँ मैं.
मुझसे फिर बात कर रही है वो,
फिर से बातों मे आ रहा हूँ मैं !!